यह
मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, व महाराष्ट्र के कुछ क्षेत्रों में अलग- अलग शैलियों में एक
विशेष जाति द्वारा गयी जाने वाली गाथा गायन परंपरा के रूप में प्रचलन में है.
मुख्यतः बघेलखंड क्षेत्र में सीधी जिले में स्थित ‘जमुआर’ गावं में निवासरत जाति
समूह के द्वारा विशुद्धतम रूप से प्रस्तुत की जाती है. बसुदेवा अपना संबंध बासुदेव
कृष्ण व उनकी जाति परंपरा से मानते हैं. बासुदेव एक गायन शैली विशेष है जिसमे
मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, महाराष्ट्र आदि राज्यों में प्रचलित व लोक
प्रसिद्द नायकों की कथाएं गयी जाती है. इस गाथा गायन शैली में निम्न लोक नायकों की
गाथाएं गाई जाती है.
श्रवण
गाथा, चंदैनी, राजा हरिश्चंद्र, गोपी चंदा, मोरध्वज कथा, मोती कुंवर, शिव विवाह,
भर्तृहर, कृष्ण प्रेम, कबीर की उलटवासियाँ.
वाद्य
यंत्र- पैजना, खंजनी, खुटखुटी, सारंगी.
राम
नाम का लइला नाम, सब होई पूरन हो काम जय गंगे हर गंगे
घर
मा सरवन बेटा रहयं, माई बाप के सेवा करय जय गंगे हर गंगे.
- कविता सिंह चौहान
- कविता सिंह चौहान
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